मुझ को प्यास बुझानी है
इस में क्या हैरानी है
उस की बातों पर मत जा
उस को आग लगानी है
अपने-पन की बात न कर
मेरे लिए बे-मा'नी है
आहट से उड़ जाती है
तितली ख़ूब सियानी है
जलने वाला जाने क्यूँ
अब तक पानी पानी है

ग़ज़ल
मुझ को प्यास बुझानी है
पूनम यादव