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मोम सिफ़त लोगों ने मेरा हँस के तमाशा देखा तो | शाही शायरी
mom sifat logon ne mera hans ke tamasha dekha to

ग़ज़ल

मोम सिफ़त लोगों ने मेरा हँस के तमाशा देखा तो

नवाज़ असीमी

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मोम सिफ़त लोगों ने मेरा हँस के तमाशा देखा तो
वो पत्थर था लेकिन उस की आँख से आँसू टपका तो

अल्फ़ाज़ों ने मा'नी बदले तहरीरों ने रुख़ बदला
मेरे क़लम की नोक से जिस दम ख़ून का चश्मा फूटा तो

कहने लगे सब आज सवा नेज़े पर सूरज आयेगा
जिस दिन मैं ने मोम का कुर्ता अपने बदन पर पहना तो

क़ीमत देखते देखते पहुँची कौड़ी से फिर लाखों में
काँच का इक शोकेस बना कर ख़ुद को उस में रक्खा तो

ऊँची ऊँची बातें देना मेरी भी कल फ़ितरत थी
होश ठिकाने आ गए मेरे अपने अंदर झाँका तो

मुझ को पिंजरे से तो निकाला पर सय्याद ने धमकी दी
बाज़ू झड़ जाएँगे तेरे तू ने उड़ना चाहा तो