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मोहब्बत की वो आहट पा न जाए | शाही शायरी
mohabbat ki wo aahaT pa na jae

ग़ज़ल

मोहब्बत की वो आहट पा न जाए

नज्म आफ़न्दी

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मोहब्बत की वो आहट पा न जाए
अदाओं में तकल्लुफ़ आ न जाए

तिरी आँखों में आँखें डाल दी हैं
करें क्या जब तुझे देखा न जाए

कहीं ख़ुद भी बदलता है ज़माना
ज़बरदस्ती अगर बदला न जाए

मोहब्बत राह चलते टोकती है
किसी दिन ज़द में तू भी आ न जाए

वहाँ तक दीन के साथी हज़ारों
जहाँ तक हाथ से दुनिया न जाए

तिरे जोश-ए-करम से डर रहा हूँ
दिल-ए-दर्द-आश्ना इतरा न जाए

कहाँ तुम दर्द-ए-दिल ले कर चले 'नजम'
मिज़ाज-ए-दर्द-ए-दिल पूछा न जाए