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मिटते हुए हुरूफ़ को पढ़ने की ख़ू किया करें | शाही शायरी
miTte hue huruf ko paDhne ki KHu kiya karen

ग़ज़ल

मिटते हुए हुरूफ़ को पढ़ने की ख़ू किया करें

नीलोफ़र अफ़ज़ल

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मिटते हुए हुरूफ़ को पढ़ने की ख़ू किया करें
सतरें कुरेदते हुए पोरें लहू किया करें

नौ-वारिदान-ए-इश्क़ से कह दीजिए कि दश्त में
वहशत से क़ब्ल रेत से जा कर वुज़ू किया करें

इंजील-ए-दिल में दर्ज हों आयात-ए-नुक़रई तो फिर
हम भी सुख़न के बाब में कुछ हाव-हू किया करें

मय-खाना-ए-अज़ल को वो दो नैन फिर से ला के दो
जो एहतिमाम-ए-ख़्वाहिश-ए-जाम-ओ-सुबू किया करें