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मिरी गहराइयाँ पल-भर में वो नायाब कर देगा | शाही शायरी
meri gahraiyan pal-bhar mein wo nayab kar dega

ग़ज़ल

मिरी गहराइयाँ पल-भर में वो नायाब कर देगा

शनावर इस्हाक़

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मिरी गहराइयाँ पल-भर में वो नायाब कर देगा
मुझे वो बाज़ुओं में लेगा और पायाब कर देगा

अजब अंदाज़ है उस गुल-बदन के प्यार करने का
मुझे पाताल तक ले जा के महव-ए-ख़्वाब कर देगा

वो जब चाहे जिसे चाहे ग़ुरूर-ए-आश्नाई दे
नज़र भर कर जिसे देखेगा वो सुरख़ाब कर देगा

सुना है गुल की रानाई रहेगी जूँ-की-तूँ लेकिन
जो सैलाब आएगा ख़ुश्बू को ज़ेर-ए-आब कर देगा

'शनावर' क़तरा क़तरा बहती आँखों का भी कुछ सोचो!
ये ऐसा रोग है मिट्टी तिरी बे-आब कर देगा