मिला है तपता सहरा देखने को
चले थे घर से दरिया देखने को
चलो अपना ही मंज़र आप देखें
कहाँ जाएँ तमाशा देखने को
सर-ए-मक़्तल किसे लाया गया है
चली आती है दुनिया देखने को
फ़सुर्दा फूल उड़ते ज़र्द पत्ते
चमन में रह गया क्या देखने को
मिली है मुख़्तसर सी फ़ुर्सत-ए-दीद
तमाशा-गाह-ए-दुनिया देखने को
चराग़-ए-रहगुज़र जुगनू सितारा
किरन कोई तो रस्ता देखने को
फिरे हैं अंजुमन-दर-अंजुमन हम
उसे जल्वा-ब-जल्वा देखने को

ग़ज़ल
मिला है तपता सहरा देखने को
यज़दानी जालंधरी