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'मीर' की सादगी बयान में रख | शाही शायरी
mir ki sadgi bayan mein rakh

ग़ज़ल

'मीर' की सादगी बयान में रख

रहमत अमरोहवी

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'मीर' की सादगी बयान में रख
'दाग़' की दिल-कशी ज़बान में रख

दूसरों को भी रौशनी पहुँचे
यूँ दिया घर के दरमियान में रख

अम्न और सुल्ह-ओ-आश्ती क्या है
ये सवालात इम्तिहान में रख

अपने पुरखों के कारनामों के
कुछ हवाले भी दास्तान में रख

नेकियाँ अब न डाल दरिया में
हम फ़क़ीरों की बात ध्यान में रख

धूप ही अब तुझे जगाएगी
कोई खिड़की खुली मकान में रख