EN اردو
मेरी तन्हाई के एजाज़ में शामिल है वही | शाही शायरी
meri tanhai ke ejaz mein shamil hai wahi

ग़ज़ल

मेरी तन्हाई के एजाज़ में शामिल है वही

ऐन ताबिश

;

मेरी तन्हाई के एजाज़ में शामिल है वही
रक़्स में है दिल-ए-दीवाना कि महफ़िल है वही

ये अलग बात न वो तमकनत-आरा है न मैं
है चमन भी वही और शोर-ए-अनादिल है वही

वही लैला-ए-सुख़न अब भी सरापा-ए-तिलिस्म
मेरी जाँ अब भी वही है कि मिरा दिल है वही

दश्त-ए-हैरत में वही मेरा जुनूँ महव-ए-ख़िराम
आ के देखो कि यहाँ गर्मी-ए-महफ़िल है वही

उस में जो डूब गया पार उतर जाएगा
मौज-दर-मौज वो दरिया है तो साहिल है वही

आज भी उस के मिरे बीच है दुनिया हाइल
आज भी उस के मिरे बीच की मुश्किल है वही