मेरे ग़ुर्बत के दिनों में हौसला दे जाएगा
दोस्त मेरे तू ख़ुशी की इक सदा दे जाएगा
जब किसी की आँख का आँसू हो जम'अ सूख कर
देखना तुम ये ही आँसू ज़लज़ला दे जाएगा
धड़कनों में है बसाया तू ने जिस को रात दिन
जाने किस दिन तुझ को वो दिलबर जफ़ा दे जाएगा
ज़ख़्म सारे भर मैं दूँगा यूँ कहा उस ने कभी
क्या ख़बर थी ज़हर में डूबी हवा दे जाएगा

ग़ज़ल
मेरे ग़ुर्बत के दिनों में हौसला दे जाएगा
किर्ति रतन सिंह