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मैं रोऊँ हूँ रोना मुझे भाए है | शाही शायरी
main roun hun rona mujhe bhae hai

ग़ज़ल

मैं रोऊँ हूँ रोना मुझे भाए है

कलीम आजिज़

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मैं रोऊँ हूँ रोना मुझे भाए है
किसी का भला इस में क्या जाए है

दिल आए है फिर दिल में दर्द आए है
यूँ ही बात में बात बढ़ जाए है

कोई देर से हाथ फैलाए है
वो ना-मेहरबाँ आए है जाए है

मोहब्बत में दिल जाए गर जाए है
जो खोए नहीं है वो क्या पाए है

जुनूँ सब इशारे में कह जाए है
मगर अक़्ल को कब समझ आए है

पुकारूँ हूँ लेकिन न बाज़ आए है
ये दुनिया कहाँ डूबने जाए है

ख़मोशी में हर बात बन जाए है
जो बोले है दीवाना कहलाए है

क़यामत जहाँ आएगी आएगी
यहाँ सुब्ह आए है शाम आए है

जुनूँ ख़त्म दार-ओ-रसन पर नहीं
ये रस्ता बहुत दूर तक जाए है