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मैं हँस रहा था गरचे मिरे दिल में दर्द था | शाही शायरी
main hans raha tha garche mere dil mein dard tha

ग़ज़ल

मैं हँस रहा था गरचे मिरे दिल में दर्द था

ऐश बर्नी

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मैं हँस रहा था गरचे मिरे दिल में दर्द था
ये राज़ खुल गया तो मिरा चेहरा ज़र्द था

अच्छा हुआ कि आप ने दामन झटक दिया
मेरा वजूद आप के दामन पे गर्द था

ख़ुद अपनी ज़ात के न किसी काम आ सके
वो लोग जिन के दिल में ज़माने का दर्द था

कितने उरूज पर थी मिरी शिद्दत-ए-तलब
तुम मिल गए तो शौक़ का हर जज़्बा सर्द था

तन्हाइयों में जिस के बने राज़दार तुम
गोया वो मैं न था कोई आवारा-गर्द था