मैं ऐसे मोड़ पर अपनी कहानी छोड़ आया हूँ
किसी की आँख में पानी ही पानी छोड़ आया हूँ
अभी तो उस से मिलने का बहाना और करना है
अभी तो उस के कमरे में निशानी छोड़ आया हूँ
बस इतना सोच कर ही मुझ को अपने पास तुम रख लो
तुम्हारे वास्ते मैं हुक्मरानी छोड़ आया हूँ
इसी ख़ातिर मिरे चारों तरफ़ फैला है सन्नाटा
कहीं मैं अपने लफ़्ज़ों के मआनी छोड़ आया हूँ
'नदीम' इस गर्दिश-ए-अफ़्लाक को मैं चाक समझा तो
वहाँ पर ज़िंदगी अपनी बनानी छोड़ आया हूँ

ग़ज़ल
मैं ऐसे मोड़ पर अपनी कहानी छोड़ आया हूँ
नदीम भाभा