मय हो अब्र ओ हवा नहीं तो न हो
दर्द हो गर दवा नहीं तो न हो
हम तो हैं आश्ना तिरे ज़ालिम
तू अगर आश्ना नहीं तो न हो
दिल है वाबस्ता तेरे दामन से
दस्त मेरा रसा नहीं तो न हो
हम तो तेरी जफ़ा के बंदे हैं
तुझ में रस्म-ए-वफ़ा नहीं तो न हो
आस्ताँ पर तो गिर रहे हैं अगर
तेरी मज्लिस में जा नहीं तो न हो
हम तो हैं साफ़, बद-गुमाँ मेरे
तेरे दिल में सफ़ा नहीं तो न हो
दिल को इक्सीर हैगी तेरी निगाह
हवस-ए-कीमिया नहीं तो न हो
हम तो हाशा नहीं किसी से बुरे
कोई हम से भला नहीं तो न हो
तालिब-ए-वस्ल कब तलक रहिए
हो तो हो जाए या नहीं तो न हो
'हातिम' अब किस की मुझ को परवा है
कोई मिरा जुज़ ख़ुदा नहीं तो न हो
ग़ज़ल
मय हो अब्र ओ हवा नहीं तो न हो
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम