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माँग लेना सिला तो जाएज़ है | शाही शायरी
mang lena sila to jaez hai

ग़ज़ल

माँग लेना सिला तो जाएज़ है

रख़्शंदा नवेद

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माँग लेना सिला तो जाएज़ है
मिल गया न मिला तो जाएज़ है

दोस्तों से शिकायतें कैसी
दोस्तों से गिला तो जाएज़ है

हम से मिलना अगर नहीं मुमकिन
बात का सिलसिला तो जाएज़ है

इस को इसबात माना जाएगा
भूल कर सर हिला तो जाएज़ है

कब हवा का गुज़र हुआ दिल से
फूल फिर भी खिला तो जाएज़ है