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क्यूँ रो रो कर नैन गंवाएँ रोने से क्या होता है | शाही शायरी
kyun ro ro kar nain ganwaen rone se kya hota hai

ग़ज़ल

क्यूँ रो रो कर नैन गंवाएँ रोने से क्या होता है

ख़लील-उर-रहमान आज़मी

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क्यूँ रो रो कर नैन गंवाएँ रोने से क्या होता है
सो जा ऐ दिल तू भी सो जा सारा जग ही सोता है

जिस से चाहें दिल को लगाएँ दुनिया वाले क्यूँ समझाएँ
इतनी बात तो सब ही जानें पीत किए दुख होता है

मैं और तू में भेद नहीं कुछ वाहिद जमा बराबर हैं सब
सारे धागे उस से फूटें सब से बड़ा जो होता है

नई चंदरिया फटी गडरिया सब धोबी के घाट पे जाए
सब के मैल को इक पानी से धोने वाला होता है