क्यूँ रो रो कर नैन गंवाएँ रोने से क्या होता है
सो जा ऐ दिल तू भी सो जा सारा जग ही सोता है
जिस से चाहें दिल को लगाएँ दुनिया वाले क्यूँ समझाएँ
इतनी बात तो सब ही जानें पीत किए दुख होता है
मैं और तू में भेद नहीं कुछ वाहिद जमा बराबर हैं सब
सारे धागे उस से फूटें सब से बड़ा जो होता है
नई चंदरिया फटी गडरिया सब धोबी के घाट पे जाए
सब के मैल को इक पानी से धोने वाला होता है
ग़ज़ल
क्यूँ रो रो कर नैन गंवाएँ रोने से क्या होता है
ख़लील-उर-रहमान आज़मी

