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क्यूँ ख़फ़ा हम से हो ख़ता क्या है | शाही शायरी
kyun KHafa humse ho KHata kya hai

ग़ज़ल

क्यूँ ख़फ़ा हम से हो ख़ता क्या है

अनवर सहारनपुरी

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क्यूँ ख़फ़ा हम से हो ख़ता क्या है
ये तो फ़रमाइए हुआ क्या है

हुस्न क्या हुस्न की अदा क्या है
उस के जल्वों का देखना क्या है

एक आलम है सिर्फ़ मय-नोशी
निगह-ए-मस्त माजरा क्या है

नीची नज़रों से कर दिया घायल
अब ये समझे कि ये हया क्या है

जान देना है ऐन मक़्सद-ए-इश्क़
उन को अंदाज़ा-ए-वफ़ा क्या है

हम से बरहम रक़ीब से शादाँ
कहिए कहिए ये माजरा क्या है

जिन की हस्ती है इक शरर की मिसाल
ऐसे तारों का डूबना क्या है

आरिज़-ए-यार के मुक़ाबिल हो
महर-ए-ताबाँ का हौसला क्या है

ख़ून आशिक़ है या हिना का रंग
मेरे क़ातिल ये ज़ेर-ए-पा क्या है

ख़ुद ही गुम हो के रह गए 'अनवर'
हासिल-ए-जुस्तुजू हुआ क्या है