EN اردو
क्या भरोसा है उन्हें छोड़ के लाचार न जा | शाही शायरी
kya bharosa hai unhen chhoD ke lachaar na ja

ग़ज़ल

क्या भरोसा है उन्हें छोड़ के लाचार न जा

सय्यद सग़ीर सफ़ी

;

क्या भरोसा है उन्हें छोड़ के लाचार न जा
बिन तिरे मर ही न जाएँ तिरे बीमार न जा

मुझ को रोका था सभी ने कि तिरे कूचे में
जो भी जाता है वो होता है गिरफ़्तार न जा

नाख़ुदा से भी मरासिम नहीं अच्छे तेरे
और टूटे हुए कश्ती के भी पतवार न जा

जलते सहरा का सफ़र है ये मोहब्बत जिस में
कोई बादल न कहीं साया-ए-अश्जार न जा

बिन हमारे न तिरे नाज़ उठाएगा कोई
सोच ले छोड़ के हम ऐसे परस्तार न जा