कुछ है ख़बर फ़रिश्तों के जलते हैं पर कहाँ
जाती है बे-अदब निगह-ए-पर्दा-दर कहाँ
ये शम-ओ-अंजुमन ये मय-ओ-जाम ये बहार
मेहमान रात भर के हैं वक़्त-ए-सहर कहाँ
नज़्ज़ारा-ए-जमाल है गो जान-ए-ज़िंदगी
वारफ़्ता-ए-जमाल को फ़ुर्सत मगर कहाँ
दिल अर्श-गाह-ए-हुस्न है दिल जल्वा-गाह-ए-नाज़
ये आप ही का घर है हमारी गुज़र कहाँ
है वक़्त-ए-नज़अ' और ग़म-ए-इश्क़ दूर दूर
जाता है साथ छोड़ के ये हम-सफ़र कहाँ
इस बे-ख़ुदी-ए-शौक़ में 'अबरार' किस को होश
मंज़िल कहाँ है मैं हूँ कहाँ राहबर कहाँ
ग़ज़ल
कुछ है ख़बर फ़रिश्तों के जलते हैं पर कहाँ
अबरार शाहजहाँपुरी