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कोई सवाल न कर और कोई जवाब न पूछ | शाही शायरी
koi sawal na kar aur koi jawab na puchh

ग़ज़ल

कोई सवाल न कर और कोई जवाब न पूछ

ख़ुशबीर सिंह शाद

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कोई सवाल न कर और कोई जवाब न पूछ
तू मुझ से अहद-ए-गुज़शता का अब हिसाब न पूछ

सफ़ीने कितने हुए इस में ग़र्क़-ए-आब न पूछ
तू मेरे दिल के समुंदर का इज़्तिराब न पूछ

मैं कब से नींद का मारा हुआ हूँ और कब से
ये मेरी जागती आँखें हैं महव-ए-ख़्वाब न पूछ

सफ़र में धूप की शिद्दत ने भी सताया मगर
फ़रेब देते रहे किस क़दर सराब न पूछ

कभी उरूज पे था ख़ुद पे ए'तिमाद मिरा
ग़ुरूब कैसे हुआ है ये आफ़्ताब न पूछ