कितने सवाल सब की निगाहों में रख दिए
घर के सभी चराग़ हवाओं में रख दिए
ये इंक़लाब-ए-गर्दिश-ए-दौराँ तो देखिए
अज्साम कैसे कैसी क़बाओं में रख दिए
महफ़िल में शेर ही नहीं कुछ रौशनी ब-दोश
अनवार हम ने दिल की फ़ज़ाओं में रख दिए
हर शख़्स चाहता है कि हों उस पे आश्कार
असरार तू ने कैसे गुनाहों में रख दिए
फ़ितरत का ये सितम भी है 'दानिश' अजीब चीज़
सर कैसे कैसे कैसी कुलाहों में रख दिए
ग़ज़ल
कितने सवाल सब की निगाहों में रख दिए
अक़ील दानिश