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कितने सवाल सब की निगाहों में रख दिए | शाही शायरी
kitne sawal sab ki nigahon mein rakh diye

ग़ज़ल

कितने सवाल सब की निगाहों में रख दिए

अक़ील दानिश

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कितने सवाल सब की निगाहों में रख दिए
घर के सभी चराग़ हवाओं में रख दिए

ये इंक़लाब-ए-गर्दिश-ए-दौराँ तो देखिए
अज्साम कैसे कैसी क़बाओं में रख दिए

महफ़िल में शेर ही नहीं कुछ रौशनी ब-दोश
अनवार हम ने दिल की फ़ज़ाओं में रख दिए

हर शख़्स चाहता है कि हों उस पे आश्कार
असरार तू ने कैसे गुनाहों में रख दिए

फ़ितरत का ये सितम भी है 'दानिश' अजीब चीज़
सर कैसे कैसे कैसी कुलाहों में रख दिए