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किसी तारीक गोशे में बसर होगी हमारी | शाही शायरी
kisi tarik goshe mein basar hogi hamari

ग़ज़ल

किसी तारीक गोशे में बसर होगी हमारी

मोहम्मद इज़हारुल हक़

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किसी तारीक गोशे में बसर होगी हमारी
महल में तुझ को पल पल की ख़बर होगी हमारी

अजब इक सेहर होगा जान देती बेबसी में
फ़रिश्तों की तसल्ली चारागर होगी हमारी

शुआओं की सवारी नूर की रफ़्तार होगी
मगर इक ख़ाक-ज़ादी हम-सफ़र होगी हमारी

जहानों के सफ़र हैं और सितारों से सनद है
ग़ज़ल में हर रिवायत मो'तबर होगी हमारी

छुपे होंगे ज़मीं ता-आसमाँ इस में तिलिस्मात
ब-ज़ाहिर गो हिकायत मुख़्तसर होगी हमारी