EN اردو
किसी से ख़्वाब का चर्चा न करना | शाही शायरी
kisi se KHwab ka charcha na karna

ग़ज़ल

किसी से ख़्वाब का चर्चा न करना

गिरिजा व्यास

;

किसी से ख़्वाब का चर्चा न करना
तमन्नाओं को बे-पर्दा न करना

ज़माना लाख बहकाए मगर तुम
वफ़ाओं का कभी सौदा न करना

ख़ताओं की सज़ा आख़िर मिलेगी
रुलाएगा उसे तौबा न करना

बिछड़ते वक़्त आँसू रोक लेना
तुम अपने आप को रुस्वा न करना

तुम्हें अच्छी तरह पहचानती हूँ
वफ़ा का मुझ से तुम वा'दा न करना