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किसी पे कोई भरोसा करे तो कैसे करे | शाही शायरी
kisi pe koi bharosa kare to kaise kare

ग़ज़ल

किसी पे कोई भरोसा करे तो कैसे करे

बाक़र मेहदी

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किसी पे कोई भरोसा करे तो कैसे करे
कि आँसुओं के सिवा और कोई क्या देगा

बहुत हुआ तो तबस्सुम के चंद फूलों को
निगाह-ए-शोख़ के हाथों से बेवफ़ा देगा

चले तो जाते हो रूठे हुए मगर सुन लो
हर एक मोड़ पे कोई तुम्हें सदा देगा

अजीब मंज़िल-ए-हैरत में है जहान-ए-ख़राब
कि जैसे हम से दिवानों को भी सज़ा देगा

हमारे शेर में पिन्हाँ है रौशनी ग़म की
ज़रा सुनो तो सर-ए-शाम ये ज़िया देगा