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ख़ुशी की मिली ये सज़ा रफ़्ता रफ़्ता | शाही शायरी
KHushi ki mili ye saza rafta rafta

ग़ज़ल

ख़ुशी की मिली ये सज़ा रफ़्ता रफ़्ता

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

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ख़ुशी की मिली ये सज़ा रफ़्ता रफ़्ता
तआरुफ़ ग़मों से हुआ रफ़्ता रफ़्ता

थी चेहरे की रंगत तो नज़रों के आगे
चला रंग दिल का पता रफ़्ता रफ़्ता

भलाई किए जा यक़ीं रब पे रख कर
वो देता है सब को सिला रफ़्ता रफ़्ता

सुनी भूके बच्चे ने जब माँ की लोरी
तो रो रो के वो सो गया रफ़्ता रफ़्ता

तिरे बिन भी कट जाएगी उम्र लेकिन
छुड़ा अपना दामन ज़रा रफ़्ता रफ़्ता

नज़र जो मिली दिल हुआ राख जल कर
धुआँ फिर उसी से उठा रफ़्ता रफ़्ता

चमन में खिलीं हँसते हँसते जो कलियाँ
तो ख़ुशबू से महकी फ़ज़ा रफ़्ता रफ़्ता

न घबराओ 'मोना' परेशानियों से
असर लाएगी हर दुआ रफ़्ता रफ़्ता