ख़ुशी की बात और है ग़मों की बात और
तुम्हारी बात और है हमारी बात और
कोई अगर जफ़ा करे नहीं है कुछ गिला मुझे
किसी की बात और है तुम्हारी बात और
हुज़ूर सुन भी लीजिए छोड़ कर के जाइए
ज़रा सी बात और है ज़रा सी बात और
क़ितआ रुबाई और नज़्म ख़ूब-तर सहीह मगर
ग़ज़ल की बात और है ग़ज़ल की बात और
ज़बाँ से 'ताबाँ' मत कहो नज़र से इल्तिजा करो
ज़बाँ की बात और है नज़र की बात और
ग़ज़ल
ख़ुशी की बात और है ग़मों की बात और
अनवर ताबाँ