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ख़ुश-जमालों की याद आती है | शाही शायरी
KHush-jamalon ki yaad aati hai

ग़ज़ल

ख़ुश-जमालों की याद आती है

सिकंदर अली वज्द

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ख़ुश-जमालों की याद आती है
बे-मिसालों की याद आती है

बाइस-ए-रश्क मेहर-ओ-माह थे जो
उन हिलालों की याद आती है

जिन की आँखों में था सुरूर-ए-ग़ज़ल
उन ग़ज़ालों की याद आती है

सादगी ला-जवाब है जिन की
उन सवालों की याद आती है