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ख़ुमार-ए-तिश्ना-लबी में ये काम कर आए | शाही शायरी
KHumar-e-tishna-labi mein ye kaam kar aae

ग़ज़ल

ख़ुमार-ए-तिश्ना-लबी में ये काम कर आए

नोमान फ़ारूक़

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ख़ुमार-ए-तिश्ना-लबी में ये काम कर आए
हम अपनी प्यास को दरिया के नाम कर आए

तुम्हारे लम्स का संदल महकने वाला है
ख़बर ये हम भी दरख़्तों में आम कर आए

उसे गले से लगाना तो ख़्वाब ठहरा है
यही बहुत है जो उस से कलाम कर आए

तुम्हारी याद की छाँव में दिन गुज़ारा है
तुम्हारे ज़िक्र के साए में शाम कर आए

कुछ और हो न सका हम से इस जहाँ में मगर
यही बहुत है मोहब्बत में नाम कर आए