EN اردو
ख़ुद से गुज़रे तो क़यामत से गुज़र जाएँगे हम | शाही शायरी
KHud se guzre to qayamat se guzar jaenge hum

ग़ज़ल

ख़ुद से गुज़रे तो क़यामत से गुज़र जाएँगे हम

मीर अहमद नवेद

;

ख़ुद से गुज़रे तो क़यामत से गुज़र जाएँगे हम
यानी हर हाल की हालत से गुज़र जाएँगे हम

आलम-ए-वुसअत-ए-इम्काँ नज़र आएगा हमें
यानी हर दूरी ओ क़ुर्बत से गुज़र जाएँगे हम

ख़त्म हो जाएगी सब कश्मकश-ए-हर्फ़-ओ-अदद
यानी हर मनफ़ी ओ मुसबत से गुज़र जाएँगे हम

न मकाँ होगा वजूद और न ज़माँ होगा अदम
यानी हर तंगी ओ वुसअत से गुज़र जाएँगे हम

आलम-ए-हू दिल-ए-बीना को नज़र आएगा
हसरत ओ वहशत ओ हैरत से गुज़र जाएँगे हम