EN اردو
खोटों को भी खरा बताना पड़ता है | शाही शायरी
khoTon ko bhi khara batana paDta hai

ग़ज़ल

खोटों को भी खरा बताना पड़ता है

फ़ानी जोधपूरी

;

खोटों को भी खरा बताना पड़ता है
दुनिया का दस्तूर निभाना पड़ता है

असर वक़्त का चेहरे पे दिखलाने को
आइने को आगे आना पड़ता है

अपनी आँखें मरें न भूकी इस ख़ातिर
कुछ चेहरों को रोज़ कमाना पड़ता है

जिस्म-नगर के पार जो कच्ची बस्ती है
इस के आगे मेरा ठिकाना पड़ता है

मैं मेरा मैं ने मुझ से कि चंगुल से
ख़ुद को अक्सर खींच के लाना पड़ता है

इक चेहरे को छूने की ख़ातिर 'फ़ानी'
यादों का अम्बार लगाना पड़ता है