ख़ाक में जब मिलाया जाउँगा
गूँध कर फिर से लाया जाउँगा
गिर गया हूँ तुम्हारे जूड़े से
अब कहाँ पर सजाया जाउँगा
एक दीवार की है वहशत धूप
और मैं साया साया जाउँगा
घर का मतलब बदलने वाला है
तेरे घर में बुलाया जाउँगा
शहर से इश्क़ करता हूँ मैं 'अज़ीज़'
दश्त में क्यूँ बसाया जाउँगा

ग़ज़ल
ख़ाक में जब मिलाया जाउँगा
वक़ास अज़ीज़