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कौन ले गया दिल से सोज़-ओ-साज़-ए-रानाई | शाही शायरी
kaun le gaya dil se soz-o-saz-e-ranai

ग़ज़ल

कौन ले गया दिल से सोज़-ओ-साज़-ए-रानाई

कलीम अहमदाबादी

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कौन ले गया दिल से सोज़-ओ-साज़-ए-रानाई
सुब्ह से झलकती है आज शाम-ए-तन्हाई

दहर की फ़ज़ाओं में कौन रक़्स करता है
कौन कर रहा है यूँ आप अपनी रुस्वाई

एक इक नफ़स में था कैफ़-ओ-वज्द का आलम
दिल कि भूल बैठा अब ज़ौक़-ए-नग़्मा-पैराई

दार-ओ-गीर-ए-दुनिया को ऐ 'कलीम' क्या कहने
बस कि इस ज़माने में ख़ामुशी है गोयाई