करो न देर जहाँ में जहाँ से आगे चलो
यहाँ गुमान-ए-ख़तर है क़दम बढ़ाए चलो
यहाँ फ़रेब-ए-नशेब-ओ-फ़राज़ अक्सर है
ख़ुदा के वास्ते इतना न मुँह उठाए चलो
शिकस्ता-पा हूँ कहीं साथ से न रह जाऊँ
मुझे भी हाथ ज़रा दोस्तो लगाए चलो
अभी तो हुस्न-ए-अमल का ज़माना बाक़ी है
वहाँ की बिगड़ी हुई कुछ यहीं बनाए चलो
इधर-उधर कहीं भर कर तरारा जा न पड़े
समंद-ए-उम्र-ए-रवाँ को ज़रा दबाए चलो
अदम में तरसोगे दर्द-ए-जिगर को ऐ 'तस्लीम'
जो हो सके कोई सीने पे तीर खाए चलो
ग़ज़ल
करो न देर जहाँ में जहाँ से आगे चलो
अमीरुल्लाह तस्लीम