कैसे दुनिया का जाएज़ा किया जाए
ध्यान तुझ से अगर हटा लिया जाए
तेज़ आँधी में ये भी काफ़ी है
पेड़ तस्वीर में बचा लिया जाए
हम जिसे चाहें अपना कहते रहें
वही अपना है जिस को पा लिया जाए
एक होने की क़स्में खाई जाएँ
और आख़िर में कुछ दिया लिया जाए
ज़िंदगी मौत के दरीचे को
एक पर्दा है जब उठा लिया जाए
क्यूँ न आज अपनी बेबसी का 'फ़राग़'
दूर से बैठ कर मज़ा लिया जाए
ग़ज़ल
कैसे दुनिया का जाएज़ा किया जाए
अज़हर फ़राग़