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कहें हम क्या किसी से दिल की वीरानी नहीं जाती | शाही शायरी
kahen hum kya kisi se dil ki virani nahin jati

ग़ज़ल

कहें हम क्या किसी से दिल की वीरानी नहीं जाती

फ़रह इक़बाल

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कहें हम क्या किसी से दिल की वीरानी नहीं जाती
हमारी ज़िंदगी भी हम से पहचानी नहीं जाती

ब-ज़ाहिर ऐसा लगता है सभी हैं मस्त दुनिया में
मगर चेहरों से पोशीदा परेशानी नहीं जाती

रवा-दारी की चादर से कहाँ तक ख़ुद को ढापेंगे
कि इस कम-ज़र्फ़ दुनिया में तो ये तानी नहीं जाती

बहुत समझा लिया दिल को बिछड़ना तो मुक़द्दर था
न जाने क्यूँ मिरे दिल से पशेमानी नहीं जाती

बहुत ही लाडला ठहरा ये माना दिल हमारा है
मगर अब इस की हर इक बात तो मानी नहीं जाती