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जो तुम्हें याद किया करते हैं | शाही शायरी
jo tumhein yaad kiya karte hain

ग़ज़ल

जो तुम्हें याद किया करते हैं

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

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जो तुम्हें याद किया करते हैं
आह-ओ-फ़रियाद किया करते हैं

काम उन का है शब-ओ-रोज़ यही
सितम ईजाद किया करते हैं

तेरे मय-ख़ाने को ऐ पीर-ए-मुग़ाँ
हमीं आबाद किया करते हैं

अपनी वहशत से तिरे दीवाने
दश्त आबाद किया करते हैं

जाम-ए-मय पी के शब-ए-फ़ुर्क़त में
दिल को हम शाद किया करते हैं

मसअले शैख़ के जो सुनते हैं
उम्र बरबाद किया करते हैं

'मशरिक़ी' कोई सुने या न सुने
हम तो फ़रियाद किया करते हैं