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जो दिख रहा उसी के अंदर जो अन-दिखा है वो शाइरी है | शाही शायरी
jo dikh raha usi ke andar jo an-dikha hai wo shairi hai

ग़ज़ल

जो दिख रहा उसी के अंदर जो अन-दिखा है वो शाइरी है

अहमद सलमान

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जो दिख रहा उसी के अंदर जो अन-दिखा है वो शाइरी है
जो कह सका था वो कह चुका हूँ जो रह गया है वो शाइरी है

ये शहर सारा तो रौशनी में खिला पड़ा है सो क्या लिखूँ मैं
वो दूर जंगल की झोंपड़ी में जो इक दिया है वो शाइरी है

दिलों के माबैन गुफ़्तुगू में तमाम बातें इज़ाफ़तें हैं
तुम्हारी बातों का हर तवक़्क़ुफ़ जो बोलता है वो शाइरी है

तमाम दरिया जो एक समुंदर में गिर रहे हैं तो क्या अजब है
वो एक दरिया जो रास्ते में ही रह गया है वो शाइरी है