जितने क़रीं तुम आए 
बनते गए पराए 
पास आए तुम मिरे यूँ 
जैसे कि ख़्वाब आए 
क्या ख़िज़्र का भरोसा 
आए कि वो न आए 
वाइ'ज़ बना है मय-कश 
क्या क्या तग़य्युर आए 
शायद क़रीं है मंज़िल 
फिर पाँव डगमगाए 
याद आईं चटकी कलियाँ 
तुम जब भी मुस्कुराए 
कह दो 'जमाल' दिल से 
हम से न दिल लगाए
        ग़ज़ल
जितने क़रीं तुम आए
हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

