EN اردو
जितने क़रीं तुम आए | शाही शायरी
jitne qarin tum aae

ग़ज़ल

जितने क़रीं तुम आए

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

;

जितने क़रीं तुम आए
बनते गए पराए

पास आए तुम मिरे यूँ
जैसे कि ख़्वाब आए

क्या ख़िज़्र का भरोसा
आए कि वो न आए

वाइ'ज़ बना है मय-कश
क्या क्या तग़य्युर आए

शायद क़रीं है मंज़िल
फिर पाँव डगमगाए

याद आईं चटकी कलियाँ
तुम जब भी मुस्कुराए

कह दो 'जमाल' दिल से
हम से न दिल लगाए