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जिस वक़्त उस ने बख़्त हमारे बनाए थे | शाही शायरी
jis waqt usne baKHt hamare banae the

ग़ज़ल

जिस वक़्त उस ने बख़्त हमारे बनाए थे

नसीम अब्बासी

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जिस वक़्त उस ने बख़्त हमारे बनाए थे
हम ने हथेलियों पे सितारे बनाए थे

कुछ पंछियों ने घोंसले पेड़ों के झुण्ड में
ऊँची जगहों पे ख़ौफ़ के मारे बनाए थे

मैं ने बस एक नहर निकाली थी हाथ से
दरिया ने आप अपने किनारे बनाए थे

हस्ब-ए-मुराद दस्त-ए-हुनर बोलने लगा
गूँगे ने चंद ऐसे इशारे बनाए थे

कुछ ज़िंदगी ब-याद-ए-अज़ीज़ाँ ज़रूर थी
कुछ दोस्त हम ने जान से प्यारे बनाए थे

हम ने हया पहन के मोहब्बत-शिआ'र की
गुड़ियों के वास्ते भी ग़रारे बनाए थे

दिल में 'नसीम' हुस्न की तकफ़ील के लिए
आँखों ने कैसे कैसे इदारे बनाए थे