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जिगर से जान से प्यारे कहाँ है कुछ तो बता | शाही शायरी
jigar se jaan se pyare kahan hai kuchh to bata

ग़ज़ल

जिगर से जान से प्यारे कहाँ है कुछ तो बता

रईस सिद्दीक़ी

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जिगर से जान से प्यारे कहाँ है कुछ तो बता
हर एक दिल के सहारे कहाँ है कुछ तो बता

तिरी तलाश में खोई हुई है चश्म-ए-फ़लक
ज़मीं के राज-दुलारे कहाँ है कुछ तो बता

मसर्रतों से था लबरेज़ दिल का पैमाना
मिरी ख़ुशी के सहारे कहाँ है कुछ तो बता

जो तू नहीं है तो फैली हुई है तारीकी
मिरे चमकते सितारे कहाँ है कुछ तो बता

दिल-ए-'रईस' को है कैफ़-ए-ज़िंदगी की तलाश
हयात-ए-नौ के इशारे कहाँ है कुछ तो बता