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जब तू मुझ से रूठ गया था | शाही शायरी
jab tu mujhse ruTh gaya tha

ग़ज़ल

जब तू मुझ से रूठ गया था

सुलेमान ख़ुमार

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जब तू मुझ से रूठ गया था
दिल-आँगन में सन्नाटा था

तू क्या जाने तुझ से बिछड़ कर
मैं कितने दिन तक रोया था

सारी ख़ुशियाँ रूठ गई थीं
अरमानों ने दम तोड़ा था

रस्ता रस्ता नगरी नगरी
दिल तुझ को ही ढूँढ रहा था

तन्हाई की फ़स्ल उगी थी
यादों का जंगल फैला था

फ़िक्र के होंटों पर ताले थे
ग़ज़लों का दामन सूना था