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जब भी ख़ल्वत में वो याद आएगा | शाही शायरी
jab bhi KHalwat mein wo yaad aaega

ग़ज़ल

जब भी ख़ल्वत में वो याद आएगा

एहसान दानिश

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जब भी ख़ल्वत में वो याद आएगा
वक़्त का सैल ठहर जाएगा

चाँद तुम देख रहे हो जिस को
ये भी आँसू सा ढलक जाएगा

एक दो मोड़ ही मुड़ कर इंसाँ
बाम-ए-गर्दूं की ख़बर लाएगा

मैं ने देखे हैं चमन बे-पर्दा
कोई गुल क्या मिरे मुँह आएगा

हुस्न से दूर ही रहना बेहतर
जो मिलेगा वही पछताएगा

और कुछ देर सितारो ठहरो
उस का व'अदा है ज़रूर आएगा

उन की ज़ुल्फ़ों की महक ले 'दानिश'
इस धुँदलके को कहाँ पाएगा