जान कर कहता है हम से अपने जाने की ख़बर
जी डुबा देती है मेरा ये बहाने की ख़बर
इस चमन में कौन है दिल-सोज़ अपना तुझ सिवा
रखियो टुक ऐ बर्क़ मेरे आशियाने की ख़बर
पूछता नीं अपने कूचे में तू मेरा हाल हाए
ले थी लैला दश्त में अपने दिवाने की ख़बर
हैं क़फ़स में जब से हम उस संग-दिल सय्याद के
अश्क ही लेता है मेरा आब-ओ-दाने की ख़बर
हम न जानें किस तरफ़ काबा है और कीधर है दैर
एक रहती है यही उस दर पे जाने की ख़बर
हर गुल-ए-दाग़-ए-जुनूँ पर और है कुछ आब-ओ-रंग
फेर है गुलशन में गोया गुल के आने की ख़बर
आज सीने में मिरे दिल है निपट ही बे-क़रार
दे है 'हसरत' ग़ैर के घर उस के जाने की ख़बर
ग़ज़ल
जान कर कहता है हम से अपने जाने की ख़बर
हसरत अज़ीमाबादी