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इश्क़ झेला है तो चेहरा ज़र्द होना चाहिए | शाही शायरी
ishq jhela hai to chehra zard hona chahiye

ग़ज़ल

इश्क़ झेला है तो चेहरा ज़र्द होना चाहिए

फ़े सीन एजाज़

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इश्क़ झेला है तो चेहरा ज़र्द होना चाहिए
हुस्न के शैदाइयों को मर्द होना चाहिए

बद-गुमानी पोंछ कर आँचल से कोई चूम ले
इस लिए तस्वीर पर कुछ गर्द होना चाहिए

सच कहो तो हर कहानी दास्तान अपनी ही है
आदमी के दिल में थोड़ा दर्द होना चाहिए

आज के बोसों में सच्चाई की सुर्ख़ी है कहाँ
ऐ मुसव्विर इन लबों को ज़र्द होना चाहिए

इस मकाँ में रहने वाले मुर्दा-दिल इंसान हैं
इस महल के पत्थरों को सर्द होना चाहिए

एक जैसे चेहरे-मोहरे एक जैसी निय्यतें
भीड़ में सब से अलग इक फ़र्द होना चाहिए

माँ का आँचल थाम कर रोना बहुत आसान है
दूर रह कर रोने वाला मर्द होना चाहिए