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इस से पहले कि बिछड़ जाएँ हम | शाही शायरी
is se pahle ki bichhaD jaen hum

ग़ज़ल

इस से पहले कि बिछड़ जाएँ हम

नासिर काज़मी

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इस से पहले कि बिछड़ जाएँ हम
दो-क़दम और मिरे साथ चलो

अभी देखा नहीं जी-भर के तुम्हें
अभी कुछ देर मिरे पास रहो

मुझ सा फिर कोई न आएगा यहाँ
रोक लो मुझ को अगर रोक सको

यूँ न गुज़रेगी शब-ए-ग़म 'नासिर'
उस की आँखों की कहानी छेड़ो