EN اردو
इस लिए दौड़ते ही ऐसे हैं | शाही शायरी
is liye dauDte hi aise hain

ग़ज़ल

इस लिए दौड़ते ही ऐसे हैं

फ़राज़ महमूद फ़ारिज़

;

इस लिए दौड़ते ही ऐसे हैं
हम को कुछ वसवसे ही ऐसे हैं

वाँ पे गंदुम भी खा नहीं सकते
ख़ुल्द में मसअले ही ऐसे हैं

या तो सारा जहान बहरा है
या तो हम बोलते ही ऐसे हैं

रूह भी क्या करे मियाँ आख़िर
जिस्म के मश्ग़ले ही ऐसे हैं

या मिरा अक्स झूट कहता है
या सभी आइने ही ऐसे हैं

उस को छुपने में लुत्फ़ आता है
हम उसे ढूँडते ही ऐसे हैं

जानिए अब हुए हैं ऐसे हम
या शुरूआ'त से ही ऐसे हैं