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इक़रा की सौग़ात की सूरत आ | शाही शायरी
iqra ki saughat ki surat aa

ग़ज़ल

इक़रा की सौग़ात की सूरत आ

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

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इक़रा की सौग़ात की सूरत आ
होंटों पर आयात की सूरत आ

सूख चले हैं आँगन के पौदे
बे-मौसम बरसात की सूरत आ

शाख़-ए-यक़ीं की बे-समरी और मैं
बार-आवर शुबहात की सूरत आ

मैं पर्वर्दा तीरा-बख़्ती का
मेरे घर तो रात की सूरत आ

मैं अपनी तहदीद में हूँ मशग़ूल
आ तौसी-ए-ज़ात की सूरत आ

फ़िक्र के तीरा-ख़ाने रौशन कर
लौ देते जज़्बात की सूरत आ

रास आए मुझ को उजियाले कब
मुबहम इम्कानात की सूरत आ