इक क़यामत का घाव आँखें थीं
इश्क़ तूफ़ाँ में नाव आँखें थीं
रास्ता दिल तलक तो जाता था
उस का पहला पड़ाव आँखें थीं
एक तहज़ीब था बदन उस का
उस पे इक रख-रखाव आँखें थीं
जिन को उस ने चराग़ समझा था
उस को ये तो बताओ आँखें थीं
दिल में उतरा वो देर से लेकिन
मेरा पहला लगाव आँखें थीं
क़तरा क़तरा जो बह गईं कल शब
आओ तुम देख जाओ आँखें थीं

ग़ज़ल
इक क़यामत का घाव आँखें थीं
सीमा ग़ज़ल