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इक का घूँट समुंदर इक का पैकर प्यास | शाही शायरी
ek ka ghunT samundar ek ka paikar pyas

ग़ज़ल

इक का घूँट समुंदर इक का पैकर प्यास

कृष्ण कुमार तूर

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इक का घूँट समुंदर इक का पैकर प्यास
पानी आब-ए-हयात और सिकंदर प्यास

अमृत-बूँद आसमान से टपका पानी
गर्म तवे पर एक परिंदा-ए-बे-पर प्यास

बीच की एक लकीर ही अब फ़ैसला करे
किस के बाज़ू पानी किस की चादर प्यास

दोनों बहर-ए-शोला-ए-ज़ात दोनों असीर-ए-अना
दरिया के लब पर पानी दश्त के लब पर प्यास

रंग-ए-लहू से गुलगूँ आब-ए-नहर-ए-फ़ुरात
अहद-ए-वफ़ा का आईना एक समुंदर प्यास

शायद इक ख़ंजर ही दिल शादाब करे
वो इक तन्हा प्यासा मेरी घर भर प्यास

'तूर' वही हिसार है ग़म-ए-अर्ज़ानी का
बाहर की सम्त नक़्श है जो इक पत्थर प्यास