हुस्न-ए-काफ़िर-शबाब का आलम 
सर से पा तक शराब का आलम 
अरक़-आलूद चेहरा-ए-ताबाँ 
शबनम-ओ-आफ़्ताब का आलम 
वो मिरी अर्ज़-ए-शौक़-ए-बेहद पर 
कुछ हया कुछ इ'ताब का आलम 
अल्लाह अल्लाह वो इम्तिज़ाज-ए-लतीफ़ 
शोख़ियों में हिजाब का आलम 
हमा नूर-ओ-सुरूर की दुनिया 
हमा हुस्न-ओ-शबाब का आलम 
वो लब-ए-जूएबार ओ मौसम-ए-गुल 
वो शब-ए-माहताब का आलम 
ज़ानू-ए-शौक़ पर वो पिछले पहर 
नर्गिस-ए-नीम-ख़्वाब का आलम 
देर तक इख़्तिलात-ए-राज़-ओ-नियाज़ 
यक-ब-यक इज्तिनाब का आलम 
लाख रंगीं-बयानियों पे मिरी 
एक सादा जवाब का आलम 
ग़म की हर मौज मौज-ए-तूफ़ाँ-ख़ेज़ 
दिल का आलम हुबाब का आलम 
दिल-ए-मुतरिब समझ सके शायद 
इक शिकस्ता रुबाब का आलम 
वो समाँ आज भी है याद 'जिगर' 
हाँ मगर जैसे ख़्वाब का आलम
 
        ग़ज़ल
हुस्न-ए-काफ़िर-शबाब का आलम
जिगर मुरादाबादी

