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होश ओ ख़िरद से बेगाना बन जा | शाही शायरी
hosh o KHirad se begana ban ja

ग़ज़ल

होश ओ ख़िरद से बेगाना बन जा

सिकंदर अली वज्द

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होश ओ ख़िरद से बेगाना बन जा
हर फ़स्ल-ए-गुल में दीवाना बन जा

आ दिल की बस्ती आबाद कर दे
इक शब चराग़-ए-वीराना बन जा

ख़ल्वत में क्या है जल्वत में गुम हो
ज़िंदा हक़ीक़त-ए-अफ़्साना बन जा

बे-सोज़ है बज़्म-ए-इल्म-ओ-दानिश
शम-ए-यक़ीं का परवाना बन जा

कितनी पिएगा जाम ओ सुबू से
मस्त-ए-निगाह-ए-मस्ताना बन जा